साथी, सब कुछ सहना होगा
मानव पर जगती का शासन, जगती पर संसृति का बंधन, संसृति को भी और किसी के प्रतिबंधों में रहना होगा! साथी, सब कुछ सहना होगा! हम क्या हैं जगती के सर में! जगती क्या, संसृति सागर में! एक प्रबल धारा में हमको लघु तिनके-सा बहना होगा! साथी, सब कुछ सहना होगा! आओ, अपनी लघुता जानें, अपनी निर्बलता पहचानें, जैसे जग रहता आया है उसी तरह से रहना होगा! साथी, सब कुछ सहना होगा!
Comments
Post a Comment
Thank you. I am pleased to hear from you. Please keep motivating me.